महाकुंभ में पेशवाई के रथ पर बैठने चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने कैलाशानंद महाराज का पंडाल छोड़ दिया है। अब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी के संरक्षण में रहेंगी। हर्षा ने रविंद्र पुरी को अपना पिता बताया। हर्षा ने कहा- मैं फिर से शाही रथ पर बैठकर अमृत स्नान करने जाऊंगी।

रविंद्र पुरी ने चुनरी ओढ़ाकर हर्षा रिछारिया का स्वागत किया। हर्षा ने भी रविंद्र पुरी को पिता बताया। कैलाशानंद और रविंद्र पुरी दोनों निरंजनी अखाड़े से जुड़े है। कैलाशानंद का पंडाल सेक्टर -9 में है, जबकि रविंद्र पुरी का पंडाल सेक्टर 20 में है। यानी अब हर्षा रिछारिया का नया पता सेक्टर-20 होगा।

हर्षा बोलीं- बेटी को पिता का साथ मिला

हर्षा ने कहा- मैं अपने घर में ही आई हूं। मैं अपने महाराज जी के पास ही आई हूं, जिनका आशीर्वाद मेरे साथ बना हुआ है, जिनका हाथ मेरे सिर पर है। अगर वह मेरे साथ हैं, तो मुझे और क्या हो सकता है। एक पिता का साथ अगर बेटी को मिल गया तो उसको और किसकी जरूरत है।

युवाओं का रुख धर्म की तरफ करने आई हूं

हर्षा ने कहा- जैसा कि मैंने पहले भी कथा था कि मैं यहां पर धर्म को जानने के लिए आई हूं। मैं धर्म से जुड़ने के लिए आई हूं। समाज में जागरूकता फैलाने के लिए आई हूं और युवाओं का रुख धर्म की तरफ करने के लिए आई हूं। मैं उम्मीद करती हूं कि जब महाराज जी का आशीर्वाद मेरे सिर पर है तो मैं धर्म की तरफ लोगों को ला पाऊंगी।

कुछ शब्दों से मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ हुई

हर्षा ने कहा- कुंभ छोड़कर जाने के सवाल पर हर्षा रिछारिया ने कहा कि कुछ शब्दों से मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ हुई। मैं उतनी उम्मीद नहीं कर रही थी कि प्रयागराज जाकर ऐसा कुछ मैं सुनूंगी। लेकिन, जब मैंने सुना तो उससे मुझे तकलीफ हुई। कहीं ना कहीं महाराज जी ने मुझे हौसला दिया है, उन्होंने मेरा साथ दिया।

युवाओं के फोन-मैसेज के बाद वापसी की

हर्षा ने कहा- देश के तमाम युवाओं ने मैसेज, कॉल्स और ईमेल्स करके कहा कि अगर आप चली गईं तो हम भी धर्म के लिए मुड़ना नहीं चाहेंगे। हम जहां हैं वहीं रहना पसंद करेंगे। इसके बाद मैंने वापसी का मन बदला। इस रास्ते में अगर इतनी चुनौतियां होती हैं तो हम धर्म से दूर ही ठीक हैं। कहीं ना कहीं यह चुनौतियां फेस करते हुए मैं आगे बढूंगी और देश के तमाम युवाओं को जो मेरी तरह भटके हुए हैं धर्म की तरफ जरूर लेकर आऊंगी।

मेरे आंसू खुशी और दुख दोनों बयां करते हैं

हर्षा रिछारिया ने कहा- मेरे आंसू खुशी और दुख दोनों बयां करते हैं। महाराज जी का साथ मिलने के बाद अब खुशी ज्यादा बयां करते हैं। हमारे वेद, शास्त्र और पुराणों में नारी को हमेशा दुर्गा शक्ति के रूप में पूजा गया है। महाराज जी मेरे पिता तुल्य हैं, मैं उनकी बेटी हूं। उनका हाथ मेरे सिर पर है। अब मुझे नहीं लगता कि मुझे कोई भी झुका सकता है, तोड़ सकता है। अब मैं पूरे महाकुंभ में रहूंगी। यह मेरी कोशिश रहेगी, बाकी ईश्वर की मर्जी।

रविंद्र पुरी बोले थे- हर्षा के बारे में गलत अफवाह फैलाई गई

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा था- हर्षा हमारी उत्तराखंड की बेटी है। वह बहुत अच्छी और आध्यात्मिक लड़की है। उसके बारे में लोगों ने गलत अफवाहें फैलाईं। इससे उसके मन को ठेस पहुंची और वह रोने लगी। मुझे स्वयं दुख हुआ। जितने भी हम संत-महात्मा हैं, वह हमारी बच्ची है। हमें उसकी बुराई नहीं करनी चाहिए। हमारे पदाधिकारियों और बड़े-बड़े लोगों ने उसके बारे में जो अच्छा नहीं कहा, उससे भी हमें दुख हुआ।

हर्षा हमारी बेटी, रथ में बैठी तो कौन सा पाप हुआ?

मैं कहना चाहूंगा कि वह हमारी बेटी है, हमारी कन्या है, और वैसे भी वह दुर्गा रूप की बच्ची है। उसके बारे में ऐसी बातें करना उचित नहीं। जब हमारा शाही स्नान (अमृत स्नान) होता है और हमारी शाही सवारी होती है, तब हमारे रथ में दुनिया भर के लोग बैठे होते हैं। उस समय आपने कोतवाल और उसके गनर भी बैठे देखे होंगे। अगर वह भी बैठी, तो उसमें कौन सा पाप हुआ?

हर्षा के खिलाफ खिलाफ षड्यंत्र करना उचित नहीं

मैं कहना चाहूंगा कि आप पूरे प्रयागराज में जाओ, जितने घरों में लोग भगवा पहनते हैं, वे सब हैं। हम तीर्थ स्थल में आए हैं, यहां भगवा पहन सकते हैं। लेकिन उसके खिलाफ ऐसा षड्यंत्र करना उचित नहीं है। वह हमारी बेटी है, हमारी बच्ची है। बहुत से लोगों ने उसके लिए जो कहा, वह शोभनीय नहीं है।

कुछ संत भी उसके खिलाफ बोले हैं, मैं उन संतों की भी निंदा करता हूं। ऐसा नहीं बोलना चाहिए। वह हमारी बच्ची है, कन्या है, देवी रूप है, देवी स्वरूप है। हमें उसका प्रशंसा करनी चाहिए, न कि उसे टॉर्चर करना चाहिए। यह उचित नहीं है, और मैं इसे सही नहीं मानता हूं।

हर्षा को लेकर क्या विवाद रहा, पढ़िए

4 जनवरी को महाकुंभ के लिए निरंजनी अखाड़े की पेशवाई निकली थी। उस वक्त 30 साल की मॉडल हर्षा रिछारिया संतों के साथ रथ पर बैठी नजर आई थीं। पेशवाई के दौरान हर्षा रिछारिया से पत्रकारों ने साध्वी बनने पर सवाल किया था।

इस पर हर्षा ने बताया था कि मैंने सुकून की तलाश में यह जीवन चुना है। मैंने वह सब छोड़ दिया, जो मुझे आकर्षित करता था। इसके बाद हर्षा सुर्खियों में आ गईं। वह ट्रोलर्स के भी निशाने पर हैं। मीडिया चैनल ने उन्हें ‘सुंदर साध्वी’ का नाम भी दे दिया।

इसके बाद हर्षा फिर से मीडिया के सामने आईं। कहा- मैं साध्वी नहीं हूं। मैं केवल दीक्षा ग्रहण कर रही हूं। इसी बीच आनंद स्वरूप महाराज ने वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा- पेशवाई के दौरान मॉडल को रथ पर बैठाना उचित नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, तभी से वार-पलटवार का दौर जारी है। शुक्रवार यानी 17 जनवरी को हर्षा ने कुंभ छोड़ दिया।

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